उसको देखना हर किसी की नजर में नहीं।
पता तक भी उसका अब तो कहीं इस शहर में नही।।1।।
छोड़ कर वह गया अपनें सारे रिश्ते नाते।
पूछोगे किससे वो किसी की खैर-ओ-खबर में नहीं।।2।।
हर शाम महफिलें शाम थी कोठी की कभी।
अब कोई भी मेजबानी इसके दीवारों - दर में नहीं।।3।।
रिश्तों की ख़ातिर उसने खुद को हरा दिया।
बे मतलब का जश्न है ये कुछ भी इस ज़फ़र में नहीं।।4।।
अच्छा ही किया उसनें चीजों कों साथ ले गया।
किसी अपनें पराये रिश्ते की वह था फ़िकर में नहीं।।5।।
अपनें हिस्से की माल-ओ-जर उसने उसे दे दी।
उसकी वजह से देखो एक गरीब अब बे ज़र में नहीं।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




