तुम राम हो गाली न दो,
गाली से कुछ गंदा नहीं।
गाली गवारों, अनपढ़ों ,
और कायरों का शस्त्र है। ।
जो मां,बहन, बेटी के निज,
सम्मान को ही मार दे।
वो मूर्ख मानव के लिए,
अत्यंत प्यारा अस्त्र है।।
है वीर वो नारी के जो,
सम्मान की रक्षा करे।
अपमान के आंसू न दे,
व्यवहार भी अच्छा करे।।
नर के लिए अनिवार्य है,
नारी का वो पोषण करे।
भोग की वस्तु समझ,
उसका नहीं शोषण करे।।
गलती करे यदि कोई भी,
तो हां उसे तुम डांटना।
लेकिन उसे अबला समझ,
देना कभी न गालियां।।
स्त्री स्वयं स्वाभाव से,
होती सुकोमल फूल सी।
आवेश में दी गालियां,
चुभती हृदय में शूल सी।।
गाली नहीं सभ्यों अपितु,
अज्ञानियों का ज्ञान है।
देता जिसे वो गर्व से,
किसको नहीं पहचान है।।
वो मां,बहन, बेटी किसी की,
लाडली होगी बहन।
छुप-छुप के रो लेती है,
कहती नहीं करती सहन।।
शिखा प्रजापति
कानपुर दे.

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




