तुम्हारी याद, इश्क, मुहब्बत में, मैं तेरा दीवाना हो गया,
और देखते ही देखते तुम मझ से अनजानी हो गई,
क्या तुम्हें तलाश है एक नये हमसफर की,
क्योंकि तेरी नजर में, मैं पुराना हो गया,
चलो, तुम दूर रहो, पर तुम खुश रहा करो,
जिससे मन करे , उससे दिल लगा लिया करो,
मेरा क्या है, मैं आज भी अकेला हूँ,
और कल भी अकेला हूँ रहूंगा,
मुझे कहाँ आता है तुम जैसे लोगो से दिल लगाना,
मैं तो अपना भी दिल हार बैठा हूँ, केवल तुम जैसे पर
----धर्म नाथ चौबे 'मधुकर'