नव किरन तुम आने में ना इतना विलम्ब लगाना
दूर हो जाये नैंना ज्योति अश्रू ना सुखाना
नव किरन तुम -----------------------
मूक हो पंक्षी सारे कलरव भूल ना जाना
कल- कल करती नदिया सारी
झरना झर -झर गीत है गाता
गीत इनका मधुर संगीत सुनते जाना
दरस को प्यासी अँखिया दरस दिखा कर जाना
नव किरन तुम ------------------------
पल्लव पुस्पित बगिया मेरी गंध मज्जरित कलियाँ
कही सूख ना जाये कलियाँ खुशबू ना मिटाना
प्रौढ़ हो जाये अवस्था बचपन ना भूलाना
नव किरन तुम ---------------------
फैला हुआ है आँचल मेरा आशिष बन गिर जाना
पुस्पित कर दिया है पथ तेरा
इक- इक कदम बढ़ाना
नव किरन आकर तुम नव उजियारा फैलाना
रुठ ना जाये कही सवेरा इससे पूर्व ही चली आना
नव किरन तुम -----------------------
अर्पिता पांडेय
[ हरवंशपुर आर्यमगढ ]