हार चुका मन,
थक गया तन,
ढोते-ढोते वजन,
भार रूपी जीवन,
रिश्तों में अनबन,
बढ़ता एकाकीपन,
बिन अश्रु ये नयन,
करते मौन रुदन।
🖊️सुभाष कुमार यादव
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करते मौन रुदन।
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