शहर का मिजाज अगर समझ जाते।
प्यार से शहर में हम बार-बार जाते।।
हमारे पेड़ के पत्ते गाँव की खाद बने।
उसमें आए फल गाँव से बाहर जाते।।
प्यार बेशक गाँव में बांधे हुए सबको।
बे-रोजगार काम के लिए शहर जाते।।
बुढ़ी माँ की बीमारी का इलाज नही।
आँगन में शादी देखने के बिचार आते।।
उधार माँग लेते 'उपदेश' आसानी से।
दिल की मजबूरी कैसे घर घर बताते।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद