अरे इंसान , तू ले संज्ञान “
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युग - युगान्तर से है चर्चित ,
दिन महीना साल परिवर्तित,
प्रागैतिहासिक काल का दौर,
पत्थर पर आदिमानव का गौर,
कंदराओं गुफाओं में रहन बसेरा ,
दिन उजाला रात्रि घनघोर अंधेरा,
कच्चा कंदमूल फल जंगली आहार,
पत्तों के वस्त्र, पत्थर के थे औजार ,
पत्थरों का घर्षण हुई आग की खोज,
बौद्धिक विकास हरपल_नित_रोज,
संघर्षरत्त्त मानव निरंतर विकास,
छू रहा है आज गगनचुंबी आकाश,
युग_काल बदले ,बदली सभ्यताएं ,
सजती संवरती,जीवनशैली मान्यताएं,
मानव जीवन घटनाक्रम का संघर्ष,
करोड़ों सालों का सफर फर्श से अर्श,
विकास पथ का रथ, पूर्वजों की देन,
साक्षी इतिहास, खो दिया सुखचैन,
सुखसुविधा संपन्न कलयुग का तंत्र,
इंसानियत हाशिए पर,स्वार्थी मंतर,
युगयुगान्तर पहले दौर पत्थर का था,
कलयुग में लोग पत्थर के हो चले है ,
संसार की इस सुसज्जित गागर में ,
डूब न जाए यह धरती महासागर में,
अरे गुस्ताख इंसान, तू अब जा मान ,
धरोहर संभाल , नैतिकता पहचान,
जवाबदेही तेरी है, मत बन शैतान ,
वक्त के थपेड़ों से बच,तू ले संज्ञान ,
दुनिया नश्वर है,चारदिनी मेहमान ,
श्रेयष्कर हो जीवन, है दिव्य वरदान !
# स्वरचित और मौलिक :
----राजेश कुमार कौशल ,
हमीरपुर,हिमाचल प्रदेश

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




