दिमाग से होंठो पर सहज आता।
और फिर ठहर जाता।।
लफ्ज मुँह के अन्दर में।
बाहर निकलने को फड़फड़ाता।।
सच कह पाना इतना आसान नही।
मौका खोजने को रुक जाता।।
रिश्ते निभाने के लिए 'उपदेश'।
नारी मन बहुत कुछ सह जाता।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद