ये रीत भी अजीब है
जब आया था वो
इस मायावी दुनिया में
वो बिलख- बिलख कर रोया था
पर मां तो हर्षायी थी
समा जगमगाया था
माहौल उल्लास का छाया था
पर इस निर्दयी संसार में आने की
कैसी खुशी
क्यों ये उल्लास
और जब
वह इस दुनिया से जाता है
इस पापी संसार को छोड़कर
मिथ्या- बंधन से मुक्ति पाकर
तो फिर क्यों ये शोक
क्यों ये रुदन?