आए न किसी के काम यही अफसोस रहेगा
पाया न कोई मुकाम यही अफसोस रहेगा।
सब कामयाब थे लिए कुछ न कुछ हुनर यहां
बस हम ही रहे नाकाम यही अफसोस रहेगा।
दुनिया जो कर रही है यहाँ वो पाक साफ था
हम पर था सब इल्जाम यही अफसोस रहेगा।
वैसे तो तितलियों को लगाए बहुत हसीन पँख
उड़ने को नहीं आसमान यही अफ़सोस रहेगा I
यह दास कैसी दुश्मनी है जो मिटती नही कभी
खत्म सब है दुआ सलाम यही अफसोस रहेगा।