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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

सीने में दिल तो है

कापीराइट गीत

सीने में दिल तो है पर धङकता नहीं
आंखों में है समन्दर पर छलकता नहीं

क्यूं चैन ही नहीं है अब मेरे प्यार को
मैं कैसे करार दूं अब दिले बेकरार को
ये पैमाना प्यार का क्यूं छलकता नहीं
आंखों में है समन्दर पर छलकता नहीं

जाने हुआ है क्या ये मेरे ऐतबार को
क्यूं नफ़रत सी हो गई है इन्तजार को
बेघर सा हूं मगर क्यूं अब भटकता नहीं
आंखों में है समन्दर पर छलकता नहीं

एक प्यार का समन्दर यूं लेता है करवटें
फैली हैं हर डगर पर अब मेरी ये सलवटें
इन निगाहों से दर्द क्यूं छलकता नहीं
आंखों में है समन्दर पर छलकता नहीं
- लेखराम यादव


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

Ankush Gupta said

Bahut khoob..

Lekhram Yadav replied

Thanks Gupta ji

Lekhram Yadav said

प्रिय अंकुश गुप्ता जी मेरी इस छोटी सी दुनियां में आपका हार्दिक स्वागत है।

Lekhram Yadav replied

Sure

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut sundar rachna Yadav Sir jesa apekshit hai aapse usase bhi badhkar prastuti

Lekhram Yadav replied

सर प्रस्तुती पसन्द आई मुझे सुकून मिला मगर आप हमेशा मेरे साथ रहें और मेरा हौंसला बढ़ाते रहें मेरी यही मनोकामना है।

वन्दना सूद said

एक एक पंक्ति दिल को छू गई 🙏🙏👏👏क्या बात है sir

Lekhram Yadav replied

आदरणीय वन्दना जी आपको धन्यवाद सहित प्रणाम। आप को गीत अच्छा लगा मुझे बहुत खुशी हुई। आप ऐसे ही होंसला बढ़ाती रहे और मै आपका आभार प्रकट करता रहू

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