श्वासो की डोर जब जीवन से टूट जाती है
आदमी चला जाता है आवाज अमर हो जाती है
फूल से जब बहार रूठ जाती है फूल तो मुरझा जाता हैं
खुशबू अमर हो जाती है
रह जातीं हैं यादें जो पल गुज़ारे थे साथ
साथी तो छूट जाता है साथ अमर हो जाता हैं
रिश्ता नाता बना कभी अपनों के साथ
धीरे-धीरे खुलता सा जाता हैं रिश्ता तो टूट जाता है बंधन अमर हो जाता है
हर पल क्षण जाने क्या जोड़ता तोड़ता रह जाता है
तू तो चला जाता है तेरा गणित अमर हो जाता है
जन्म से लेकर मृत्यु वरन नश्वर को ही संवारता है
शरीर तों चला जाता है आत्मा अमर हो जाती है
✍️#अर्पिता पांडेय