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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

उजले को स्याह करने की कोशिश न करना जो है प्राकृतिक

सबका साथ सबका विकास से पहले ये समझना लाजमी है
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बदल लो साहब अपनी अपनी रंग जिसमे काले धब्बे लगे हैं

उजले को स्याह करने की कोशिश न करना जो है प्राकृतिक

काले को उजला करना महान कला समझों जो होगा असंभव

रात को दिन में बदलना सिर्फ उसका काम है इसे ढंग से समझो

खुद को बदलना अपनी शक्ति में है ये वह नहीं बदलेगा हरगिज़

खुदा वो इंसान की शक्ति का फ़र्क यहां से समझना होगा दोस्तों

सबका साथ सबका विकास से पहले ये समझना लाजमी होगा

काले रंग ख़ुद को देखो पहले कौन सी रंग चिपकेगा मेरे साथ

हर रंग से उम्दा है सफेद होता है जिसमे स्याह ही चिपकते हैं

उजले को काला करना कला नहीं विनाश कारी है सबके लिए

काले को उजला करना महान कला समझा जाता है जहां में

बदनाम लोग धन से नाम कमा सकते अच्छे कर्म का सेहरा नहीं

ऊंच नीच कोई कोई जात नहीं इन्सान एक जात है प्राकृतिक

प्राकृतिक में दो प्रकार की मखलूक एक जानदार एक बे रूह

जानदार मखलूक बदल सकता है अपना नेचर सूरज चांद नहीं

ज़मीन वो आसमां बदलने वाला सिर्फ एक जात है दूसरा नहीं

साइंस Nature बदलने की शक्ति नहीं रखता है किसी का

आविष्कारक अपना रंग बदल सकता है यही असली साइंस है

आज से पहले किसी ने नहीं सोचा जो हमने तहकीक किया है

मेरे लेख से नक़ल करने वाले चमक जायेगा मगर हम नहीं वसी

होशियार होजाओ नक़ल करने से के पहली ख़ोज तस्लीम करो

ज़िंदगी हमारा हो या तुम्हारा हक़ में जमें इंसाफ़ के साथ बंधुओं

झूठ वो नक़ल से कुछ रोज़ खुशी होगी आ जीवन कभी नहीं

वसी अहमद कादरी ! वसी अहमद अंसारी !
मुफक्किर कायनात! मुफक्किर ए मखलूका
दरवेश ! लेखक ! पोशीदा कवि !




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