सबका साथ सबका विकास से पहले ये समझना लाजमी है
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बदल लो साहब अपनी अपनी रंग जिसमे काले धब्बे लगे हैं
उजले को स्याह करने की कोशिश न करना जो है प्राकृतिक
काले को उजला करना महान कला समझों जो होगा असंभव
रात को दिन में बदलना सिर्फ उसका काम है इसे ढंग से समझो
खुद को बदलना अपनी शक्ति में है ये वह नहीं बदलेगा हरगिज़
खुदा वो इंसान की शक्ति का फ़र्क यहां से समझना होगा दोस्तों
सबका साथ सबका विकास से पहले ये समझना लाजमी होगा
काले रंग ख़ुद को देखो पहले कौन सी रंग चिपकेगा मेरे साथ
हर रंग से उम्दा है सफेद होता है जिसमे स्याह ही चिपकते हैं
उजले को काला करना कला नहीं विनाश कारी है सबके लिए
काले को उजला करना महान कला समझा जाता है जहां में
बदनाम लोग धन से नाम कमा सकते अच्छे कर्म का सेहरा नहीं
ऊंच नीच कोई कोई जात नहीं इन्सान एक जात है प्राकृतिक
प्राकृतिक में दो प्रकार की मखलूक एक जानदार एक बे रूह
जानदार मखलूक बदल सकता है अपना नेचर सूरज चांद नहीं
ज़मीन वो आसमां बदलने वाला सिर्फ एक जात है दूसरा नहीं
साइंस Nature बदलने की शक्ति नहीं रखता है किसी का
आविष्कारक अपना रंग बदल सकता है यही असली साइंस है
आज से पहले किसी ने नहीं सोचा जो हमने तहकीक किया है
मेरे लेख से नक़ल करने वाले चमक जायेगा मगर हम नहीं वसी
होशियार होजाओ नक़ल करने से के पहली ख़ोज तस्लीम करो
ज़िंदगी हमारा हो या तुम्हारा हक़ में जमें इंसाफ़ के साथ बंधुओं
झूठ वो नक़ल से कुछ रोज़ खुशी होगी आ जीवन कभी नहीं
वसी अहमद कादरी ! वसी अहमद अंसारी !
मुफक्किर कायनात! मुफक्किर ए मखलूका
दरवेश ! लेखक ! पोशीदा कवि !


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
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