मैं ज़्यादा ही मौजूद हूॅं समझना ठीक नहीं हूॅं,
थोड़ी कहीं गायब सी हो गई समझना ठीक हूॅं।
जब ठीक होती हूॅं अपने काम में व्यस्त होती हूॅं,
ठीक नहीं होती हूॅं तो तुमसे बाते करती हूॅं।
जब ठीक नहीं होती हूॅं तुम याद बहुत आते हो,
तुमसे बाते करती हूॅं और खुद को भूला देती हूॅं।
जब ठीक होती हूॅं ऐसा नहीं तब याद आते नहीं तुम,
बस मौजूदगी उतनी होती नहीं जितनी तकलीफ़ में होती है।
💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐