अपनी जिम्मेदारियों को मैं, भार नहीं मानता,
ज़िंदगी जीतने नहीं देती, मैं हार नहीं मानता।
मेरी बुराई सुन के मुझसे ही आकर कहता है,
उसने सुना, ऐसे यार को मैं यार नहीं मानता।
मुझे उदास देख कर उसका दिल भी न दहले,
ये इश्क़? ऐसे प्यार को मैं प्यार नहीं मानता।
बचपन में आता, एक दिन चैन-ओ-सुकून का,
फुरसत नहीं जिसमें, उसे इतवार नहीं मानता।
अब पहनोगी गहने तो पहन लेना थोड़ी लज्जा,
जिसमें सादगी नहीं उसको श्रृंगार नहीं मानता।
🖊️सुभाष कुमार यादव

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




