जितना सर झुका कर पढ़ेंगे हम
उतना ही सर उठा कर लड़ पाएंगे
अपने आप से समाज से लोगों के
बेतुके सवाल से..!
जितना पढ़ेंगे तो जान पाएंगे की
सभ्यता और संस्कृति पुरानी नहीं
सही होनी ज़रूरी है..!
पढ़ेंगे तो जान पाएंगे कि जाती धर्म ये सब
सिर्फ इंसान की बनाई योजनाएँ है
इंसान को इंसान से लड़ाने की चाल है..!
पढ़ेंगे तो जान पाएंगे कि स्त्री कोई देवी नहीं
कोई अवतार नहीं लक्ष्मी का वो सिर्फ एक स्त्री
है जो अपने अधिकारों से वंचित है...!
पड़ेंगे तो ये भी जान पाएंगे कि इतिहास कोई
दोहराने वाली क्रिया नहीं वो तो समझने वाली बात है
अगर समझने के बाद भी उसे दोहराया जाए
तो वह मूर्खो का भविष्य बन जाता है.!
निखिल..!


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







