नाराज़गी अगर मुझसे हो ,
तो खुद को मेरी जगह रख कर देखना तुम |
यदि फिर भी मैं ही गलत लगूँ ,
तो ही मुँह फेरना तुम |
किसी की बातों में मत आना ,
अपना विवेक जरूर लगाना |
हमेशा आँखों देखा भी ,सच नहीं होता ,
हर आँसू की वजह,बस गुनाह नहीं होता |
शिल्पी चड्ढा