कविता - आदमी का जन्म दिन....
आदमी अपना जन्म
दिन क्यों मनाता है ?
मुझ को ये बात समझ
नहीं आता है
आदमी अपने जन्म दिन
पर जब केग काटता है
उसी बखत उसका
एक साल और घटता है
फिर भी आदमी अपना
जन्म दिन मना रहा
फूलों ही फूलों से घर
अपना सजा रहा
उसे खबर नहीं
उसका ही दिन जा रहा
मगर आदमी ये...
समझ नहीं पा रहा
मगर आदमी ये...
समझ नहीं पा रहा.......