हवाओ के जोर से डाली अगर टूट गई।
पेड तो जिन्दा घौंसले की आस छूट गई।।
परिंदे जगह बदलने को मौताज हो गये।
ढल जाने में वक्त लगेगा अस्मत छूट गई।।
जिस मिट्टी में मोहब्बत की महक आती।
उस मिट्टी से मिलने की आशा छूट गई।।
कितनी उड़ान भरने के वादे रहे 'उपदेश'।
किसकी वजह से पतंग की डोर छूट गई।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद