आज तक जिस भी कवि को मैंने देखा है,
हमेशा मुस्कुराता हुआ देखा है।
सबसे ज़्यादा ग़म ही एक कवि की ज़िंदगी में
होता है,
तभी तो वह कवि बनता है।
एक कवि ही ऐसा इंसान होता है,
जो ज़िंदगी में हज़ारों दर्दों के बावजूद भी खुश रहता है।
क्योंकि वो अपने दर्दों को कलम की स्याही में मिला,
कविता में बहा देता है।
अपनी दर्द भरी कविता को वो कवि
ऐसे हॅंस - हॅंसकर, खुश होकर सुनाता है,
मानों वो दुनिया का सबसे सुखी इंसान हो।
पूरी दुनिया का ग़म ख़ुद ढोता है,
और जताता ऐसा जैसे वो ग़म हीन हो।
वो ग़मगीन कविताएं जो उसकी हक़ीक़त होती है,
वो कविता जो उसकी नस - नस से
वाक़िफ़ कराती हैं।
उन्हें पेश करता है वो कवि ऐसे,
जैसे की उसमें बिखरे दर्द उसके ना हो।
🖋️ रीना कुमारी प्रजापत 🖋️