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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

बस बोली लगा लो और घर तक बुला लो..

गुरु शिष्य के संबंधों के आजकल मायने बदल गए हैं।
गुरु शिष्य के साथ तो शिष्य गुरु के साथ
लग रहें हैं।
कहीं गुरु शिष्य तो कहीं शिष्य गुरु के संग
भाग रहें हैं।
शिक्षा जैसे पवित्र कार्य को सरे आम नीलाम कर रहें हैं।
गुरु शिष्य के रिश्तों को तार तार कर रहें हैं।
शिक्षा अब जिम्मेदारी नहीं व्यापार बन गया है।
शिक्षा के नाम पर बस आदमी लूट रहा है।
आजकल की शिक्षा केवल सपने दिखा रही है।
सिर्फ़ लोक लुभावन वादों में शिक्षा सिमट के रह गई है।
शिक्षा अब तिजारत बन गई है।
अब ना वो गुरु शिष्य के संबंध रहे
ना बात व्यवहार
शिक्षा के नाम पर कर रहे व्यविचार
बदल गए सारे आचार विचार
अब तो गुरु शिष्य शिक्षा सब बिकाऊ हैं
बस बोली लगा लो और घर तक बुला लो
बिकाऊ हैं सारी डिग्रियां इन्हें जब चाहे
जैसे चाहें अपनी ड्रॉइंग रूम में सजा लो
बस बोली लगा लो और घर तक बुला लो..




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Sach Kaha aadhunik shiksha evam uska vyapar me rupantaran aapki rachna m sajgata se jhalak raha hai, yah mudda bahut hi chinta ka vishay hai, basic chizon ko vyapar ka roop dekar Jan sadharan ki pahuch se door kiya jaa raha hai....aapne bahut khoob likha...Shikshak Divas ki Bahut Bahut Shubhkamnayein Sir ji...

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