गुरु शिष्य के संबंधों के आजकल मायने बदल गए हैं।
गुरु शिष्य के साथ तो शिष्य गुरु के साथ
लग रहें हैं।
कहीं गुरु शिष्य तो कहीं शिष्य गुरु के संग
भाग रहें हैं।
शिक्षा जैसे पवित्र कार्य को सरे आम नीलाम कर रहें हैं।
गुरु शिष्य के रिश्तों को तार तार कर रहें हैं।
शिक्षा अब जिम्मेदारी नहीं व्यापार बन गया है।
शिक्षा के नाम पर बस आदमी लूट रहा है।
आजकल की शिक्षा केवल सपने दिखा रही है।
सिर्फ़ लोक लुभावन वादों में शिक्षा सिमट के रह गई है।
शिक्षा अब तिजारत बन गई है।
अब ना वो गुरु शिष्य के संबंध रहे
ना बात व्यवहार
शिक्षा के नाम पर कर रहे व्यविचार
बदल गए सारे आचार विचार
अब तो गुरु शिष्य शिक्षा सब बिकाऊ हैं
बस बोली लगा लो और घर तक बुला लो
बिकाऊ हैं सारी डिग्रियां इन्हें जब चाहे
जैसे चाहें अपनी ड्रॉइंग रूम में सजा लो
बस बोली लगा लो और घर तक बुला लो..