New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.



The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

अनजाना एहसास

अनजाना एहसास
तुझसे कभी मिली नहीं
फिर भी तू अपनी सी लगती है
तुझे कभी देखा भी नहीं
फिर भी जानी पहचानी सी लगती है
तुझसे अक्सर लोगों की बातों में मिलते रहे
फिर भी नजाने क्यों ?
कोई एहसास पुराना लगती है
न जाने क्यों ?
मेरे शहर से दूर जाने की ख़बर से मेरी आँखें भी नम हो गई हैं
एक अनजाना कैसे अपना लगने लगा
सोच कर मन में बेचैनी सी होती है ..
वन्दना सूद




समीक्षा छोड़ने के लिए कृपया पहले रजिस्टर या लॉगिन करें

रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (8)

+

Updesh Kumar Shakyawar said

जी बहुत संजीदगी भरी रचना 🙏🙏

वन्दना सूद replied

Shukriya ji 🙏🙏

Shiv Charan Dass said

वाह वाह

वन्दना सूद replied

🙏🙏

सुभाष कुमार यादव said

👌👌👌

वन्दना सूद replied

🙏🙏

श्रेयसी said

वाह बहुत सुंदर रचना 🙏🙏

वन्दना सूद replied

🙏🙏😊

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वाह बहुत सुंदर भावुक कविता। कोई अनजाना अपना सा लगने लगे,और पता ही न चले कि ये क्

वन्दना सूद replied

शुक्रिया sir 🙏🙏

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

और पता ही न चले कि ये क्या हो गया। प्रीत की निश्छल, निर्मल भावना को प्रदर्शित करती ये कविता,, खूबसूरत लिखा है आपने।

वन्दना सूद replied

🙏🙏😊आपके खूबसूरत comments के लिए 🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

क्या ही खूबसूरत और संवेदनशील अभिव्यक्ति है! इस "अनजाने एहसास" में अपनापन, दूरी, और एक अजीब सी जुड़ाव की कसक बख़ूबी झलकती है। "बिना देखे भी दिल से जुड़ जाए कोई — बस यही तो जादू है जज़्बातों का।" 🙏🙏

वन्दना सूद replied

बहुत सही कहा आपने अशोक जी 😊

रीना कुमारी प्रजापत said

Ye ho jaata hai acche logon ke sath... Bahut sundar 👌 dil ko chhu gai.... Waise koun hai wo kya hum Jaan sakte hai

वन्दना सूद replied

🙏🙏बता दिया तो वो अनजाना नहीं रह जाएगा 😊

कविताएं - शायरी - ग़ज़ल श्रेणी में अन्य रचनाऐं




लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल, शायरी, श्लोक, संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां, कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, इंग्लिश, सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।


लिखते रहिये, पढ़ते रहिये - लिखन्तु डॉट कॉम


© 2017 - 2025 लिखन्तु डॉट कॉम
Designed, Developed, Maintained & Powered By HTTPS://LETSWRITE.IN
Verified by:
Verified by Scam Adviser
   
Support Our Investors ABOUT US Feedback & Business रचना भेजें रजिस्टर लॉगिन