कविता : ख्वाइश अपनी अपनी....
इस दुनिया में हर सभी की
अपनी अपनी ख्वाइश होती है
ख्वाइश अपनी पूरी न हुई तो
मर्द रोता और औरत रोती है
मगर यूंही ख्वाइश
अपनी पूरी होती कहां ?
इसके लिए तो दिन रात
मेहनत चाहिए यहां
इसके लिए तो दिन रात
मेहनत चाहिए यहां.......
netra prasad gautam