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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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कविता की खुँटी

                    

मत समझना

किसी की सादगी को लाचारी मत समझना,
उसे हल्का देख खुद को भारी मत समझना।

बनावटीपन दिखता है चेहरे के हाव-भाव से,
उसके सादापन को, अदाकारी मत समझना।

हाथ जोड़ कर खड़ा है, ये शालीनता उसकी,
उसका व्यवहार देख, दरबारी मत समझना।

वो खुशियाँ खरीदता है अपना गम बेच कर,
उसका लेन-देन देख व्यापारी मत समझना।

मजबूरियाँ खींच लाई हैं उसे भरे बाज़ार में,
ताश का खेल दिखाता जुआरी मत समझना।
🖊️सुभाष कुमार यादव




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

क्या खूब लिखा है! सादगी की गहराई को इस तरह शब्द देना सच में काबिल-ए-तारीफ है। हर मिसरा दिल को छू गया। 🌸
आदरणीय यादव सर जी को सादर प्रणाम

सुभाष कुमार यादव replied

धन्यवाद सहित सादर प्रणाम पचौरी सर।🙏🙏

Ankush Gupta said

Bahut khoob Laazwaab abhivyakti

सुभाष कुमार यादव replied

प्रतिक्रिया के हार्दिक आभार गुप्ता सर। 🙏🙏

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वो खुशियां खरीदता है,अपना ग़म बेचकर। वाह किसी की सादगीपन, भोला पन और हृदय की निश्छलता और त्याग की भावना को आपने अपने शब्दों में खूबसूरत उतारा है। सुभाष जी सादर नमस्कार।

सुभाष कुमार यादव replied

इतनी सुंदर समीक्षा के लिए धन्यवाद सहित सादर नमस्कार समदिल सर।🙏🙏

शिवचरण दास said

बहुत खूब. ..बेहतरीन सुभाष जी

सुभाष कुमार यादव replied

धन्यवाद दास सर।🙏🙏

सुप्रिया साहू said

वाह....बहुत खूबसूरत एवं लाज़वाब रचना सर 👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

सुभाष कुमार यादव replied

धन्यवाद सहित सादर प्रणाम सुप्रिया जी।🙏🙏

श्रेयसी said

किसी की सादगी को..... बहुत सही कहा आपने बहुत ख़ूब बहुत सुंदर लाज़वाब रचना 🙏🙏

सुभाष कुमार यादव replied

धन्यवाद श्रेयसी जी।🙏🙏🙏

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