जिंदगी सीमट गई गुणा भाग में,
जवाब ढ़ूढ़ते रहे अपने हिसाब के,
जो अपने थे वो चल दिये दूजे की छाव में, .
हम रख दिए सब्र तेरे इंतजार में,
मौके मिले थे जुड़ने की किस्मत की छाव में,
तूने उसे भी छोड दिया अपने मुक़ाम से,
सर्वाधिकार अधीन है