हुस्न को आँख भर कर यहाँ देखने वाले।
गुनाह कर रहे बेवजह आँख सेंकने वाले।।
एक महक ने दूर तक मजबूर कर दिया।
चर्चा महक पर करने लगे ना करने वाले।।
हर कोई बात करना चाहता सन्दर्भ एक।
लुफ्त ले रहे रुक कर बात ना करने वाले।।
एक गली से दुसरी गली घूम कर आती।
नजर आ रहे हर तरफ नजर ना आने वाले।।
तितलियों से शहर उफान मारता 'उपदेश'।
दर्शन को आने लगे लोग ना देखने वाले।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद