कविता : सिर्फ सौ रुपए....
भिखारी : साहब मैं भूखा हूं
रहम कीजिए
मुझ को आज सिर्फ
सौ रुपए दीजिए
साहब : तू भी कैसा ?
जीता न मरता
सौ रुपए की
बात करता ?
मैं साहब कहां मैं यहां
निकम्मा बेकार हूं
तू सिर्फ पचास दे मैं तेरे
पैर पड़ने को तैयार हूं
तू सिर्फ पचास दे मैं तेरे
पैर पड़ने को तैयार हूं.......
netra prasad gautam