मानवता का चिन्ह है,
प्रेम, करुणा और दया।
दानव का रूप है,
लोभ, क्रोध और घृणा।
मानवता जोड़ती है,
रिश्तों के बंधन।
दानव तोड़ता है,
प्रेम के मंदिर।
मानवता उगलती है,
खुशियों के फूल।
दानव बिखेरता है,
दुःखों का धूल।
मानवता है सेवा का भाव,
दानव है शोषण का प्यास।
मानवता है ज्ञान का प्रकाश,
दानव है अज्ञान का अंधकार।
मानवता है क्षमा का सागर,
दानव है बदले की आग।
मानवता है सत्य का मार्ग,
दानव है छल का जाल।
मानवता है शांति का संदेश,
दानव है युद्ध का शोर।