कविता : आदमी की घड़ी....
आदमी को सिर्फ
यहां जीने की पड़ी है
मगर उसकी यहां
मरने की भी घड़ी है
मगर उसकी यहां
मरने की भी घड़ी है.......
netra prasad gautam
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