प्रकृति का आवाहन,
करूणा का गान।
आज विश्व एकजुट हुआ,
मांसाहार त्यागने का संकल्प लिया।
प्राणी मात्र में जीवन की पहचान,
करुणा का बीज मन में बोया।
पशुओं की पीड़ा देखकर,
हृदय होता है विचलित।
कत्लखानों में चीखें सुनाई देती हैं,
मानवता होती शर्म से लज्जित।