"ग़ज़ल"
मैं ने जिस के साथ भी भलाई की!
उस ने मेरे साथ बस बुराई की!!
दिन तो जैसे-तैसे गुज़र जाएगा!
कैसे कटेगी रात ये जुदाई की!!
शैतान के जैसा किरदार है जिन का!
करते हैं बात अकसर वो ख़ुदाई की!!
सच की राह से मुझे हटा नहीं सके!
लोगों ने लाख ज़ोर-आज़माई की!!
तुम तो मेरी जान दूध की धुली हो!
चलो मान लिया मैं ने बे-वफ़ाई की!!
हमें तो लड़ाया जाता है वरना!
हम ने कब इक-दूजे से लड़ाई की!!
ज़िंदगी की क़ैद से मौत से पहले!
सूरत नज़र आती नहीं रिहाई की!!
'परवेज़' मेरी नज़रों में मेरी शायरी!
सौग़ात है मुझ को मेरी तन्हाई की!!
- आलम-ए-ग़ज़ल परवेज़ अहमद
© Parvez Ahmad