दिल में पिता का भरा है, अरमान बेटियां
मांओं में भरी ममता की, पहचान बेटियां
भाई के संग मुस्कराती,शान बेटियां
घर चांद है तो चांद की, मुस्कान बेटियां
बागों में अगर फूल हैं, खुशबू हैं बेटियां
खिलती हुई परिवार की, आरज़ू है बेटियां
वर्षा की घनी रात की, जुगनू हैं बेटियां
फिर भी सतायी जाती यहां, क्यूं हैं बेटियां
ससुराल में सपनों को, संजोतीं हैं बेटियां
मां बाप को जो दर्द हो,रोती है बेटियां
हर दाग दोनों ओर की,धोतीं है बेटियां
इसलिए गंगलहर सी, होतीं हैं बेटियां।
इसलिए गंगलहर सी, होतीं हैं बेटियां।।
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