बारिश के रंग
सावन-भादो की बारिश में
कोई मस्ती में भीगा,कोई मजबूरी में ।
कोई प्यार में भीगकर भीगा,
तो कोई दर्द भुलाने को।
किसी ने लुत्फ़ उठाया घर की छत छोड़कर,
तो कोई टपकती छत के नीचे भीगा।
कुछ ऐसे भी,जिनकी छत सिर्फ़ आसमाँ है,
वो आसमाँ की जलधारा में अपने आँसू मिलाते दिखा।
तब लगता है
यह बारिश नहीं,
बल्कि प्रकृति का हृदय है,
जो हर प्राणी की भावनाओं को बरसा रहा है।
वन्दना सूद
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