मटक-मटक के ना चलो,
मचल-मचल के ना चलो ।
तुम ही ज़रा बता दो,
कैसे सँभालू खुद को।
दिल पहले से है घायल,
अब और ना बनाओ।
जीना हुआ है मुश्किल,
कैसे बचाऊँ खुद को।
अब और ना मचलना,
ऐसे कभी ना चलना।
दिल आ रहा है बाहर,
मेरा उछल-उछल के।
यूँ ज़ुल्फ ना लहराओ,
मिलता है क्या बता दो।
----वेदव्यास मिश्र
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




