काँच से भी कच्चे रिश्ते होते हैं अपने ..
आस लगाएँ ,
तो दरार पड़ जाती है ।
विश्वास करें ,
तो पलक झपकते ही टूट जाते हैं ।
छू सकते नहीं उन्हें,
क्योंकि कभी अपने होते ही नहीं ।
काँच से भी कच्चे रिश्ते होते हैं अपने ..
अक्स अपना ही नज़र आता है उनमें
वो हमारे और
हम उनके जैसे ही नज़र आते हैं
क्योंकि हम एक दूसरे के लिए आईने के जैसे ही होते हैं
वो हम से और हम उनसे खफ़ा रहते हैं
क्योंकि न हम उन्हें समझ पाते हैं
और न ही वो हमें कभी
इसलिए काँच से भी कच्चे रिश्ते होते हैं अपने ..
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




