माना तुम्हारे मुक्कद्दर में सिर्फ अंधेरा है रात, मगर मुझे करनी है तुमसे इक बात
क्यूँ रहती हो तुम इतना उदास
अपनी चमक पहचानो अंधेरेपन से मत हो हताश
तुम्हारे दम से हीं तो उजाला है
तुम्हीं ने हमें उजाले का महत्व समझाया है
झूमती हवाएँ बादल में छुपता चाँद तुमसे हीं फ़जा, सुहानी है
क्यूँ नहीं अपनी सीरत पहचानी है
तुम हो तो चाँदनी झील में नहाती है
कोई फूल भीनी-भीनी ख़ुशबूू लुटा कर रात-रानी कहलाती है
तुम्हारे दम से हीं तो दीपक जगमगाते हैं
तुम्हारे वज़ूद से हीं सितारे झिलमिलाते हैं
तुम्हारे आँचल पर हीं जुगनू टिमटिमाते हैं
तुम्हारी आग़ोश में हीं हम उषा तक पहुँच पाते हैं
और सुबह फूलों की तरह खिलखिलाते हैं

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




