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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मैं जल हूँ।

जी हाँ।
मैं ही जल हूँ।
मैं ही आप सब की पहली जरूरत हूँ,
मुझ से ही हैं आप के लहलहाते खेत,
मेरे बिना जीवित रह नहीं सकता कोई भी दिन एक,
मैं ही आप का जीवन हूँ,
मैं ही आप का अंत,
मैं ही आदि हूँ, मैं ही अनंत,
मुझमें ना कोई रंग हैं, ना मेरा कोई आकार,
मुझमें ना कोई गंध हैं,ना मेरा कोई स्वाद,
जैसा मुझको रख़ोगे मैं वैसा हो जाऊँगा,
जितना मुझे सम्भालोंगे मैं उतना काम आऊँगा,
मगर तुम लोग मुझको व्यर्थ ही बहा रहे हो,
तुम सब मिल कर मुझको अस्वछ बना रहे हो,
हे तुच्छ इंसान इसमें मेरा कुछ नहीं जायेगा,
मैं नहीं रहा तो तेरा अस्तित्व ही मिट जायेगा,
इसलिए तुझे बचाने के लिए मैं तुझसे ही फ़रियाद करता हूँ,
मुझे व्यर्थ मत बहाओं मैं तुम्हारी ज़िंदगी आबाद करता हूँ।
जय हिंद।
जय भारत।
लेखक- रितेश गोयल 'बेसुध'




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

वन्दना सूद said

बहुत बढ़िया मुद्दा उठाया आपने 👌👌👏👏सबको प्रेरणा लेकर जल की हर बूंद को बचाने की ओर कदम बढ़ाना चाहिए

Ritesh Goel replied

धन्यवाद वन्दना जी, आपको सादर नमस्कार 🙏🙏।

Shiv Charan Dass said

बहुत खूब. ..जल ही जीवन है

Ritesh Goel replied

धन्यवाद शिव चरण जी, आपको सादर नमस्कार 🙏🙏।

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

बहुत सुंदर रचना,जल का मानवीकरण कर जल के द्वारा ही मानव मन को सुंदर और दृढ़ता भरी संदेश। अपनी पीड़ा का ज्वलंत मुद्दा उठाने वाली यह रचना अनमोल संदेश "जल संरक्षण" मानव मन की उंगली उठाती है,आगाह करती है।

Ritesh Goel replied

धन्यवाद मनोज जी, आपको सादर नमस्कार 🙏🙏।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

क्या गज़ब की जागरूकता और आत्मचिंतन की आवाज़ है ये!, इसमें एक ताकत है जो सीधे दिल को छू जाती है और सोचने पर मजबूर कर देती है। बहुत खूब लिखा है आपने! 🔥💧🙏

Ritesh Goel replied

धन्यवाद अशोक जी, आपको सादर नमस्कार 🙏🙏।

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