बहाना कितना भी बना लूँ।
चेहरे को मासूम बना लूँ ।।
मुझको तन्हा छोड़ने वाले ।
आ कभी तुझे गले लगा लूँ ।।
तुझ पर मुझको नाज़ बहुत ।
मायावी नजर से बचा लूँ ।।
शिकायत तो रहेगी जरूर।
चाँद सा नूर आँखों में बसा लूँ ।।
खिलखिलाहट से भरी 'उपदेश'।
जिन्दगी खुद की बना लूँ ।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद