खुश रहने का बहाना आकर चला जाता।
गम पागल हो गया छोड़कर ही नही जाता।।
इतना ख्याल अगर अपने करीबी कर लेते।
तो हमारा दर्द-ए-दिन नजर में नही आता।।
हवा जरूर सहलाती मौसम बदलकर जाती।
करे क्या उनके मिज़ाज का घर नही आता।।
राह तकते तकते सूर्य की रोशनी मध्यम हुई।
अंधेरे में 'उपदेश' निगाह से नजर नही आता।।
.- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद