जाएं कहां किस ओर
सब ओर लूटेरें बैठें हैं
कोई जेब कटता
कोई दिल तोड़ता तो
कहीं प्यार के सौदागर
बैठें हैं।
ना दया धर्म
ना कोई शर्म
बस सब ओर
दानव बैठें हैं ।
कोई जात नोच रहा
कोई पात नोच रहा
कोई आदमी का जज़्बात
नोच रहा तो कोई...
आशायें उम्मीद तोड़ रहा
यहां सब सभी को
भरमायें बैठें हैं।
बात बात पर सब एकदूसरे को
वक्त बेवक्त आजमायें बैठें हैं।
भरोसा नही
ऐतबार किसी पे
सब किसी न किसी तरह से
भरोसा खोए बैठें हैं।
किसके गोद में रख सर सोए कोई
दर्दे दिल किसको बताए
यहां सब ओर बेदर्दी बैठें हैं।
बरसती आंखों में भी दर्द दिए बैठे हैं
जीवन की राहों पर पग पग
जीत देखो तित लूटेरे बैठें हैं
पग पग लूटेरे बैठें हैं.....
पग पग लूटेरे बैठें हैं....