कापीराइट गजल
याद आते हैं मोहब्बत में वो गुजारे हुए दिन
तेरे संग जिन्दगी में वो गुजारे हुए दिन
वो मोहब्बत का अपना याद आता है जमाना
प्यार की राह में चल कर वो गुजारे हुए दिन
वो भोली सी सूरत और वो बांकपन अपना
याद है चांदनी रात में वो गुजारे हुए दिन
साथ होते थे तेरे जब हम नदिया के किनारे
याद है पेड़ के नीचे वो गुजारे हुए दिन
वो दरिया का किनारा और कश्ती में जाना
उस कश्ती में बैठ कर वो निहारे हुए दिन
छुपाए थे इन किताबों में गुलाब जो हमने
उन गुलाबों के सहारे वो गुजारे हुए दिन
जुदा हुए थे तुम जब छोड़ कर के हमको
बन्द कमरे में सिसककर वो गुजारे हुए दिन
याद आते हैं हम को जब वो लमहे यादव
हर पल तेरे संग-संग वो गुजारे हुए दिन
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




