कविता : सास और ससुर....
मेरे सास और
ससुर महान हैं
वे दोनों ही मेरे
लिए तो शान हैं
उन दोनों ने कन्या
दान किया है
अपनी बेटी का हाथ मेरे
हाथों में थमा दिया है
उनकी बेटी मेरी बीबी
बन मेरे घर आई है
मेरा पूरा का पूरा
घर फूलों सा सजाई है
इतना ही नहीं उसने
मेरे वंशज को बढ़ाया है
क्या कहूं मेरा घर तो
स्वर्ग जैसा ही बनाया है
जितना तारीफ करूं
उतना ही कम है
मेरे सास ससुर की बेटी में तो
बड़ी हिम्मत और दम है
मेरे सास ससुर भी
बहुत ही सच्चे हैं
बता ही नहीं सकता
वे कितने अच्छे हैं
जब मैं उनके घर जाता
हूं मेरे पर मरते हैं
वे दोनों ही मेरी बहुत आदर
और सत्कार करते हैं
घर पर ही बहुत सारे
चौरासी व्यंजन बनाते हैं
जमाई राजा जी... खाओ बोल कर
बड़े प्यार से खिलाते हैं
मुझे नहीं पता ऐसे
लोग मिलते हों कहीं
मेरे सास ससुर जैसे
अच्छे तो कोई भी नहीं
मेरे सास ससुर जैसे
अच्छे तो कोई भी नहीं.......

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




