कापीराइट गजल
माफीनामा
ना जाने क्यूं रूठ गई मेरी एक छोटी बहना
राह देखता हूं उसकी कोई जाकर उससे कहना
रोज ढूंढ़ता हूं तुम को लिखनतु के हर पन्ने पर
मेरी छोटी सी गलती से रूठ गई मेरी बहना
क्या तेरी भोली सी रचना हमको ना मिल पाएगी
इतना गुस्सा ठीक नहीं है लौट के आ मेरी बहना
लिखनतु का ये हर पन्ना लगता है मुझको सूना
तेरी एक झलक पाने को तरस गए हम बहना
कदम खींच लिए क्यों तूने मेरी एक नादानी से
नई रचना संग आ जाओ ओ मेरी प्यारी बहना
गर तू नहीं लौटकर आई हम भी कलम छोड़ देंगे
हम अपने लब सी लेंगे गर तुम ना आई बहना
मेरी एक भूल से ही ये कलम तुम्हारी बन्द हुई
कान पकड़ कहता यादव माफ करो मुझको बहना
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है