दर्जी बहुत अच्छा है
ईमान का सच्चा है
कपड़े को देख कर
इंची टेप ले कर
बाजू कमर नापता
कैंची से कपड़ा
वह फिर काटता
ठ्याक- ठुक मिलाता
ट्याक- टुक सिलाता
पैंट और कमीज तयार करता
वह फिर उन्हें प्रेस भी मारता
ये सब कर कर हम को देता
हम से पैसा वह फिर लेता
बात नहीं करता फालतू और फर्जी
कितना अच्छा वह एक दर्जी
कितना अच्छा वह एक दर्जी.......
----नेत्र प्रसाद गौतम