माँ को माँ कहूं,
इसके आगे क्या कहूं,
माँ को धैर्य कहूं,
विश्वास कहूं,
प्रेम कहूं,
सम्मान कहूं,
बस माँ कहूं,
उसकी बात में हाँ कहूं,
उसे मंजिल की राह कहूं,
उसे चाहो तो हाँ कहूं,
उसे वात्सल्य की बांह कहूं,
बस माँ कहूं,
हाँ माँ कहूं।।
- ललित दाधीच।।