कविता : महत्वपूर्ण....( ( a.p.)
जब तुम्हें महसूस होगा
खुद अपूर्ण हूं
तब पता चलेगा मैं तुम्हें कितना
महत्वपूर्ण हूं
जब तुम्हें महसूस होगा खुद ही
घुसे से चूर्ण हूं
तब पता चलेगा मैं तुम्हें कितना
महत्वपूर्ण हूं
जब तुम्हें महसूस होगा न भीष्म
पितामह न दोर्ण हूं
तब पता चलेगा मैं तुम्हें
कितना महत्वपूर्ण हूं
जब तुम्हें महसूस होगा हर
परिक्षा में न तो उत्तीर्ण हूं
तब तुम्हें पता चलेगा मैं तुम्हें
कितना महत्वपूर्ण हूं
जब तुम्हें महसूस होगा खुद
अकेली अपूर्ण हूं
तब तुम्हें पता चलेगा मैं तुम्हें
कितना महत्वपूर्ण हूं
तब तुम्हें पता चलेगा मैं तुम्हें
कितना महत्वपूर्ण हूं.......