हर पहलु से जिया जीवन को,
...हर कठिनाइयों में सिया जीवन को,
जीवन का अब मोल न कुछ है,
...हर गम में जीया जीवन को,
...हर गम में जीया जीवन को,
बचपन जो था लम्हा एक पल का,
...सिर्फ उसी लम्हे में जिया जीवन को,
...सिर्फ उसी लम्हे में जिया जीवन को,
बेसक अब हो दौलत सोहरत,
......पर जीवन का मोल ना अब है
......पर जीवन का मोल ना अब है
कवि राजू वर्मा
सर्वाधिकार अधीन है