मेरे पास में है एक मोबाइल
अगर ये न हो तो हूं मैं आज घायल
किसी से बात करनी हो
मोबाइल से करता हूं
आवाज रिकार्ड करनी हो
मोबाइल में भरता हूं
उस पर मेरी सब कुछ एड है
जिस जिस से बात की
उसी पर रिकार्ड है
एक दिन मोबाइल खोल उंगली से सरकाया
उस पर एक महान संत का विचार आया
उस विचार ने मेरे दिमाग को बताया
जीवन है क्या बड़े अच्छे से समझाया
फिर उसी बखत क्या बताऊं हाए
वही मोबाइल पर स्त्री पुरुष दोनों निर्वस्त्र आए
मैंने मोबाइल स्क्रीन उंगली से सरकाया
उन ना लायक दोनों को फट से भगाया
मगर मेरे मन ने माना बिलकुल नहीं
मन बोला, वे क्या कर रहे देख तो सही
मैंने फिर उन्हें देखा वे उल जलूल हरकत करने
मेरे दिमाग पर गंदे गंदे विचार भरने लगे
मैंने भी मोबाइल स्क्रिन उंगली से सरकाया
उन दोनों को उसी बखत हटाया
उन दोनों को उसी बखत हटाया......
----नेत्र प्रसाद गौतम