किस इम्तिहान के बाद होगा हम पे ए'तिबार उनको..
सौंप दी जब हमने चमन·ए·ज़िंदगी की बहार उनको..।
वो तो मुझ पर लगाए जाते हैं, इल्ज़ाम कैसे–कैसे..
मेरी वफ़ा की कौन याद दिलाए, बार–बार उनको..।
वो अपनी मर्ज़ी से खिलाते हैं, चमन में गुल भी..
किसने थमा दिया, दामन-ए-अब्र-ए-बहार उनको..।
अपनी सब ज़फाएं, चुपके से लिख गए नाम से मेरे..
मुहब्बत में इतना जाने कैसे, मिला इख़्तियार उनको..।
ज़माने को तो इकतरफा मुहब्बत भी, जो गंवारा नहीं..
सोचता हूं अब तो, इस गुनाह में कर लूं शुमार उनको..।
पवन कुमार "क्षितिज"


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







