मोह में तुम्हारे हम राधिका बन गए।।
नारायण,तेरे नयनों के हम दीवाने हो गए
काया, पीताम्बर लिप्त हुई सी
कांटे भी लागे सुमन भरे
मोह में तुम्हारे हम राधिका बन गए।
सांझ सवेरे देखन लागी , क्या हाल मेरे
मोह में तुम्हारे हम राधिका बन गए ।
सूरज - चांद पे मुखड़ा भी तेरा नजर आए
आंसू भी जैसे शशिप्रभा बन जाए
देख सखी तेरे पैरों से पायल छिटकी जाए
मोह में तुम्हारे हम राधिका बन गए।।
- ललित दाधीच।।